थरूर-मोदी के पचड़े में उलङो मीडिया ने देश को ऐसा उलझाया कि बंगलुरु में आतंकवादियों से मिली सामयिक चुनौती की गंभीरता पर चर्चा करना किसी ने उचित नहीं समझा। न तो संसद में बात हुई और न ही मीडिया ने मुद्दा उठाया कि- यदि हाल में आईपीएल मैच के दौरान बंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के चारों ओर बिछाया गया 50 किलो विस्फोटक यदि सैट टाइमर के मुताबिक फट जाता तो कम से कम 20 हजार और अधिक से अधिक 50 हजार निर्दोष लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन होता? आईपीएल आयोजक, कर्नाटक सरकार, कर्नाटक पुलिस, तमाम खुफिया एजेंसियां और एनएसए.. कौन?
यह तो गनीमत थी कि स्टेडियम के चारों ओर बिछाए गए बमों का टाइमर फेल हो गया और समय से पहले हुए एक विस्फोट के बाद सभी बम निष्क्रिय कर दिए गए। लेकिन तथ्य चौंकाने वाले हैं कि जब मैच हो रहा था, स्टेडियम के चारों ओर बमों का जखीरा मौजूद था, जिसे दूसरे दिन तलाशा जा सका। इससे बड़ी लापरवाही का उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले कि मैच से पहले स्टेडिमय के गेट पर एक बम विस्फोट हो जाता है और बावजूद इसके वहां मैच संपन्न कराया गया जबकि स्टेडियम परिसर के बाहर बमों के मिलने का सिलसिला अगले 24 घंटों तक चलता रहा। धन्य है!
आतंकवादी खुलकर चुनौती दे चुके थे कि आईपीएल और कॉमनवैल्थ उनके निशाने पर होंगे, लेकिन बंगलुरु की इस ताजी घटना ने साबित कर दिया है कि हम एक ऐसी व्यवस्था में जी रहे हैं जिसकी कमान मूर्खो के हाथ में है। बार-बार गलती, बार-बार चूक करने वाले मूर्ख। भगवान मालिक है।
Tuesday, April 20, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment